परी का दिया जादुई मसाला | Hindi Kahaniyan
परी का दिया जादुई मसाला (Hindi Kahaniyan) : एक गाँव में प्रियंका नाम की एक गरीब लड़की रहती थी। उसकी माँ सरिता देवी की यह इच्छा थी की उसकी बेटी खूब पढ़े लिखे , लेकिन उसकी हालात इतनी खराब थी की ऐसा संभव नहीं था। इस गरीबी के कारण ही प्रियंका जंगल जाकर लकड़ियां काटने का काम करती थी। जिससे उनका घर चलता था। हमेसा की तरह एक दिन फिर प्रियंका जब जंगल में लकडिंयां काटने गयी तो उसे जंगल के अंदर से किसी के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी। आवाज सुनकर पहले तो प्रियंका दर जाती है। लेकिन फिर सोचती है –
क्या पता किसी को मेरी मदद की जरुरत हो ?
इतना सोच कर प्रियंका जंगल की ओर चली गयी। वहां उसने देखा की की काटो की झाड़ियों में एक बहुत ही खूबसूरत परी फसी हुई थी। क्योंकि परी के पंख काटो में उलझ गए थे। ये सब देख प्रियंका आश्चर्य चकित हो गयी और डरते हुये उसके नजदीक जाती है। नजदीक जाने के बाद वह पारी से पूछती है –
तुम कौन हो ? और इस घने जंगल में क्या करने आयी हो ?
moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi
प्रियंका की आवाज सुनकर पारी रोते हुए बोलती है।
मैं एक परी हूँ और मेरा घर पारी लोक में है। मैं पहली बार पृथ्वी लोक में घूमने आती हूँ परन्तु इस जंगल में मेरे पीछे एक शेर पड गया और उसी से बचने के लिए मैं यहाँ आकर छुप गयी। लेकिन इसमें इतने काटे थे की सभी मेरे पंख में चुभ गए। मेरे पंख भी घायल हो गए हैं अब मैं घर कैसे जा पाऊँगी। ऐसा बोलकर परी फिर से रोने लगती है।
प्रियंका उसकी बातो पर भरोसा करके बहुत ही सावधानी से उसे वहां से निकालती है। परी के पंख से खून निकल रहे थे। प्रियंका ने अपने कपडे से खून को साफ़ किया और फिर पारी से बोलती है –
पारी तुम्हारे पंख घायल है और ऐसे में तुम अपने घर नहीं जा सकती हो। तुम मेरे घर में रह सकती हो। जब तुम ठीक हो जाओ तो अपने घर चले जाना। लेकिन बोलती है –
गाँव में तो सभी लोग मेरे पंख को देख कर सवाल करेंगे। मैं एक साधारण लड़की का रूप ले लेती हूँ। यह सुन प्रियंका बोलती है। हाँ यह अच्छा होगा।
इसके बाद परी एक साधारण लड़की का रूप ले लेती है और प्रियंका उसे अपने साथ घर ले आती है। घर आने के बाद प्रियंका अपनी माँ को सारी बात बताती है। साथ ही ये बात किसी और को बताने से मना भी करती है।
प्रियंका की माँ सारी बात सुनने के बाद मान जाती है। परन्तु उनके घर में गरीबी बहुत ज्यादा थी ,जिससे किसी को भी भर पेट खाना मिल पाना मुश्किल था। लेकिन ओ लोग बहुत दयालु थे, इसलिए उन्होंने परी को भी अपने घर में रहने के लिए शरण दे दी। और पारी के पंखो का मरहम पट्टी भी करना शुरू कर दिया। इसी तरह दो दिन बिट जाते हैं।
तीसरे दिन प्रियंका की माँ खाना बनाने जा रही थी लेकिन सब्जी में डालने के लिए मसाला ही नहीं था और न ही उनके पास पैसे थे की ओ दूकान से भी ला सके।
moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi
प्रियंका की माँ प्रियंका के पास आती है और कहती है, बेटी आज तुम जंगल सब्जियां काटने के लिए भी नहीं गयी और घर में एक रूपये भी नहीं है। सब्जी बनाने के लिए मसाला भी नहीं है। अब बताओ मैं मसाला कहाँ से लाऊँ? मैं दूकान पर उधार मसाला मांगने भी गयी थी लेकिन लाला ने नहीं दिया। ये सारी बात पारी भी सुन रही थी। सारी बात सुनने के बाद पारी चुप चाप रसोई में जाती है और जादू से एक मसाले का पैकेट ला देती है और बाहर आकर बोलती है माजी आपने सही से नहीं देखा था। मसाला वहीँ था देखो जब मैं अंदर गयी तो तुरंत मिल गया। ये देख प्रियंका की माँ खुश हो जाती है और सोचती है :- हो सकता है मैंने पहले ही लायी हो और मुझे याद नहीं है।
परी प्रियंका की माँ से बोलती है। माजी आज आप रहने दो खाना मैं बनाती हूँ। उस दिन परइ ने उसी मसाले को डालकर खाना बनाया। सब्जी में इतना स्वाद था की सब्जी कम पड गयी।
प्रियंका परी से कहती है वह परी जी आपकी हाथो में तो जादू है ,इससे पहले ऐसी सब्जी कभी नहीं खायी।
इसके बाद परी बोलती है। नहीं प्रियंका , जादू मेरे हाथ का नहीं बल्कि इस मसाले का है। यह सुन सभी हसने लगे और पारी की बातो पर किसी ने उतना ध्यान नहीं दिया।
अगले दिन जब प्रियंका जंगल लकड़ी काटने जाने लगती है तो परी उससे कहती है। प्रियंका तुमने मेरी मदद की है इसलिए मैं भी तुम्हारा मदद करना चाहती हूँ। तुम बाजार जाकर आलू ले आओ मैं उसके समोसे बनाती हूँ और तुम पुरे गाँव में यह ऐलान कर देना की हमारे यहाँ समोसे बेचे जाते हैं।
परइ के बताये अनुसार ही प्रियंका करती है। परी ने उसी मसाले को डालकर समोसा बनाया। कुछ लोग समोसे खरीदने आते हैं। जब उन्होंने समोसा खाया तो उन्हें बहुत पसंद आया। पुरे गाँव में उसकी बात होने लगती है , सभी औरते इसके बारे में बात करने लगते हैं। दोपहर होते होते सभी समोसे बिक गए अब रोज ऐसा ही होने लगा और परी अब और भी जयादा समोसे बनाने लगी। देखते ही देखते उनके यहाँ से समोसे लेने आस पास के गाँव के लोग भी आने लगे।
moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi
प्रियंका के पड़ोस में ही आम्रपाली नाम की एक महिला रहती थी वह बहुत अमीर और घमंडी थी। उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था की कोई उससे अमीर हो।
एक दिन आम्रपाली चुपके से प्रियंका के घर जाती है और समोसे का राज जानना चाहती है। उसने देखा की परी समोसे में ज्यादा कुछ नहीं डालती है बस एक मसाला डालती है। यह देख आम्रपाली मसाले को चुराने का प्लान बनाती है और सोचती है वह भी समोसे बनाकर बेचेगी।
अगले दिन आधी रात को आम्रपाली चुपके से प्रियंका के घर जाती है और मसाला चुरा लेती है, लेकिन चुराते हुए पारी देख लेती है। उसने जादू से दूसरा मसाला लाकर वहीँ रख दिया।
सुबह होकर आम्रपाली भी समोसे बनाती है और सभी को बता देती है इतना ही नहीं वह अपने समोसे का दाम भी कम रखती है जिससे लोग समोसे खाने के लिए आ जाते हैं। पर जैसे ही खाते हैं तो उन्हें आलू सडा हुआ लगता है। ऐसा उस जादुई मसाले के कारण हो रहा था क्योंकि वह किसी दूसरे के घर में काम नहीं करता था। हल्ला होने के बाद लोग पैसे वापस ले लेते हैं और वापस से प्रियंका की बनाएं समोसे के लिए लाइन में लग जाते हैं। इधर आम्रपाली अपना सर पटक रही थी क्योंकि उसने पहले ही एक बोरा आलू और एक बोरा मैदा ले आयी थी।
अब परी के पंख भी ठीक हो गए थे। वह प्रियंका के घर वालो को समोसे बनाना सीखा देती है और मसाले का रहस्य बता कर परीलोक वापस चली जाती है।
moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindi moral stories in hindifrom हिंदी कहानी https://ift.tt/U1elCVN
via परियों की कहानी
Hindi Kahani
ReplyDeletesarkari yojana
sarkari job
sarkari job
ReplyDeletesarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job
sarkari job